( तर्ज - नारायण जिनके हिरदेमें ० )
देख - दिखावु बना चेहरा ,
उसे देखत ईश्वर भूल न पावे ॥
सुंदर अंग मनोहर हो ,
या रत्नांकित तनपे जर हो ।
सब ईश्वरकेहि बने नर ! ये ,
उसे देखत ईश्वर भूल न पावे ||१||
कोई राज न्योछावर करत उसे ,
कोई अपना बल बतलावनको ।
कोइ कंचन केवल दे मढुवा ,
उसे देखत ईश्वर
भूल न पावे || २ ||
कोई सुंदर माल बनाकरके ,
लपटावत है उनके गलमें ।
अति मोहक रंग सुगंध चले ,
उसे देखत ईश्वर
भूल न पावे || ३ ||
कोइ चाहत है प्रभुके दर्शन ,
अरु दे बहला उसे साराधन ।
तुकड्या कहे , तुच्छ प्रभूको यह
उसे देखत ईश्वर
भूल न पावे || ४ ||
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